कदंब जानते हैं न । भला कौन नहीं जानेगा । सुभद्रा कुमारी चौहान जी का कविता ' यह कंदब का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे धीरे' हर हिंदीभाषी के जुबान पर होता है।मैं तो कहता हूं कि कदंब को सुभद्रा कुमारी चौहान जी का आभारी होना चाहिए ।
फिलहाल जरूरी बात यह है की ईसका सिजन आ गया है । सो यह आपको जिस रूप में भेंट हो ग्रहण करते जाइए। फल, सब्जी,चटनी ,मुरब्बा जिस रूप में मिले खाईये । बड़ा फायदेमंद चीज है कदंब।
कदंब के फल का आकार गोल है। कदंब के फल के ऊपर फूल बनते हैं। इसको जहर प्रतिरोधी दवा के रूप में भी माना जाता है।आयुर्वेद में बीमारियों को खत्म करने के लिए राजकदम्ब और धूलिकदम्ब का उपयोग किया जाता है। चलो जानते हैं कि जुड़े हुए हैं।
कदम्ब के फायदे-
बुखार आने पर-
बुखार की समस्या होने पर आप पांच तुलसी के पत्तों के साथ पांच ग्राम कदम्बिका की छाल को मिलाकर काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े का सेवन थोड़े दिनों तक लगातर करते रहें इससे बुखार जल्दी ठीक हो जाएगा।
घाव ठीक करने के लिए-
घाव यदि ठीक ना हो रहे हों तो कदम्ब की पत्तियों और छाल को पानी में उबालें। फिर उसे गुनगुना होने पर उससे घावों को साफ करें। आपके घाव जल्दी ठीक हो जाएगें।
बच्चों में पाचन की समस्या-
बच्चों की पाचन शक्ति कमजोर होती है। इसलिए आप बच्चे को नियमित रूप से धूलिकदम्ब के फल या रस का सेवन कराएं।
पैरों की चोट व सूजन में-
सूजन और चोट लगने पर आप कदम्ब की छाल और पत्तों को लें और उसे पानी में उबाल लें और उसमें थोड़ा नमक मिला लें और उससे पैरों की सिकांई करें। इस उपाय से पैरों की चोट व सूजन ठीक हो जाती है।
शरीर की दुर्बलता-
यदि शरीर में कमजोरी हो तो आप राजकदम्ब के फलों से बने चूर्ण का सेवन नित्य पानी के साथ करें।
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