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तमिलनाडु में एक जगह है, बरगुर। इसी क्षेत्र से इस गाय की उत्पत्ति हुई है सो इसका नाम भी बरगुर पड़ा ।
वैसे तो देसी गाय की ए टू क्वालिटी की मिल्क की गुणवता सब परिचित ही होंगें ।पर बरगुर के दूध में कुछ खास मेडिसिनल क्वालिटी होता है । बहुत जानने का प्रयास किया पर गूगल, हमारे यहां के देसी गायों के जानकार एवं उच्च कृषि वैज्ञानिक की जानकारी में भी यह बात नहीं थी। फिलहाल एक बात तो है ईसके दूध में कुछ कमाल के औषधीय गुण होते हैं। अगर यह पोस्ट तमिलनाडु के किसी भाई के पास पहुंचे और उनके जानकारी में कुछ बात हो तो हमसे अवश्य साझा करें। फिलहाल इतना जानिए कि इस गाय का उपयोग दोहरे फायदे के लिए किया जाता है। दोहरे फायदे से मतलब यह है की गाय से दूध तो मिलता ही है साथ ही इसके बैल भी उत्तम क्वालिटी के होते हैं जो किसी कार्य में निपुण होते हैं।

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इसके पूरे शरीर पर सफेद या भूरे रंग के धब्बे होते हैं। इसके हड्डीदार और पतले अंग होते हैं। सींग सिरे से तीखे होते हैं और हल्के भूरे रंग के होते हैं। गहरे फर के साथ आकर्षित माथा होता है। इस नसल के दूध के कई औषधीय गुण होते हैं। यह गऊ एक ब्यांत में 250-1300 लीटर दूध देती है।