प्रकृति सबसे बड़ी शक्ति है। इसके साथ कदम ताल मिला कर चलने वाला पृथ्वी का हर प्राणी बेहद सुखमय जीवन यापन करता है ।वही जिसके मन में भी प्रकृति से ऊपर उठने की चेष्टा हुई वह जीव ही विलुप्त हो गया ।आप इतिहास पढ़ लीजिए। हम इंसान भी कुछ ऐसे करने के लिए सोच रहे हैं। प्रकृति ने हर एक चीज को बेहद सलीके से सजाया है। ना तो इस सजावट में कुछ और फूल जोड़े जाने की गुंजाइश है और ना ही इससे कुछ पत्ते बाहर निकाले जा सकते हैं।
हम चाहे कितने भी अपने कौशल का उपयोग करके आगे बढ़े प्रकृति के साथ रहकर ही हम सबसे बेहतर जिंदगी गुजार सकते हैं। इसका एक बहुत ही बेहतर उदाहरण है डांगी गाय
हम चाहे कितने भी अपने कौशल का उपयोग करके आगे बढ़े प्रकृति के साथ रहकर ही हम सबसे बेहतर जिंदगी गुजार सकते हैं। इसका एक बहुत ही बेहतर उदाहरण है डांगी गाय
जहां तक इस पहाड़ी क्षेत्र की बात है तो आप एक बात समझ लीजिए कि यहां घनघोर वर्षा होती है। इतनी वर्षा की हर प्राणी का जीना मुहाल हो जाता है। हालांकि क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था काफी कमजोर है और डांगी गाय के विपरीत परिस्थिति में भी काम करने की क्षमता के कारण यहां धान की बंपर पैदावार होती है।
डांगी गायक को कुदरत ने एक वरदान के साथ नवाजा है। इसके स्किन से एक तरह का तेल का स्राव होते रहता है जोकि अन्य गायों में नहीं होता ।यही तेल इसे इस प्रतिकूल परिस्थिति में जीवित रखने में मदद करती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गाय का मिलकिंग कैपेसिटी बेहद कम है। फिर भी अतिवर्षा में जीवित रहने की इसकी काबिलियत और प्रतिकूल परिस्थिति में भी काम करने की अद्भुत जिवटता के कारण डांग पहाड़ के परछाई में रहने वाले लोगों ने अभी तक इसका साथ नहीं छोड़ा है। इसके बैल कृषि कार्य के लिए है अद्भुत होते हैं। इसमें चलने और वजन ढोने की कमाल की क्षमता होती है। भारी लकड़ियों का बोझ लेकर यह 4 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चल सकती है जबकि खाली रहने पर इसका स्पीड 20 से 24 प्रति घंटा तक हो सकता है।
ये मध्यम आकार के पशु होते हैं। जिनके सींग छोटे, छोटा सिर, छोटी और मजबूत टांगे और मध्यम आकार का लेवा होता है। यह गाय प्रति ब्यांत में औसतन 430 लीटर दूध देती है। दूध में 4.3 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है।
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