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हल्दी लगाने का समय नजदीक आ रहा है ! वैसे तो ज्यादातर लोग इसे मई के आखिरी सप्ताह में लगाना बेहतर समझते हैं पर अब कई अग्रिम प्रजातियां भी आ गई है जिसे आप 15 अप्रैल से ही लगा सकते हैं।


हल्दी बहुत आसानी से होने वाला फसल है! यह बाग-बगीचों में जहां समुचित सूर्य की रोशनी भी नहीं पहुंचती वहां भी बड़े आराम से इसकी फसल तैयार हो जाती है। बहरहाल इसके लिए बलुई दोमट और चिकनी दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है। हालांकि जिस भूमि पर जल जमाव होता है वहां इसे नहीं लगाना चाहिए अन्यथा इसका विकास  रुक जाता है।


हल्दी के सामाजिक ,धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी अनेकों उपयोग हैं।इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के लंबी फेहरिस्त है।
ऐसा इसलिए क्योंकि हल्दी रोगाणुओं को रोकने वाली (रोगाणुरोधक या एंटीसेप्टिक) होती है।

यह तरह-तरह के इन्फेक्शंस से लड़ने की ताकत देती है। अब चाहे अंदरूनी घाव हो या शरीर के बाहर के घाव, हल्दी उन्हें भरने का काम करती है। तभी तो भारतीय परिवारों में हल्दी का खूब इस्तेमाल किया जाता है। वैसे भी भारत में पैदा की गई हल्दी को सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसमें प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रासायनिक पदार्थ करक्यूमिन की मात्रा अधिक होती है।

 हल्दी का इस्तेमाल आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं में होता है और इससे बनी औषधियां बदन दर्द, थकान दूर करने और सांस संबंधी परेशानियों में असरदार हैं।
हल्दी की खेती


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 हल्दी की खेती छह या सात महीने की खेती होती है। एक बीघे में हल्दी के दो कुंतल बीज लग जाते हैं, जो हमें 1500 से 1800 रुपए कुंतल मिलता है, हल्दी की पूरी फसल में हम 50 किलो यूरिया व एक बोरी डीएपी डालते हैं। चार से पांच पानी लगाने पड़ते हैं। पेड़ से पेड़ की दूरी एक फिट रखते हैं और लाइन से लाइन की दुरी भी एक फिट होती है। एक बीघे में अंत तक 5000 हजार से 6000 रुपए की लागत आती है। एक बीघे में कच्चा माल लगभग 20 से 25 कुंतल निकल आता है जिसका रेट 1200 से 1500 के बीच होता है। एक बीघे में लगभग 20 हजार का मुनाफा होता है।

पक्के माल का विवरण
एक बीघे में 20 कुंतल कच्चा माल निकलता है जो उबाल कर सुखाने पर एक चौथाई रह जाता है। यानि 20 कुंतल का पक्का माल पांच कुंतल होगा, इसका रेट बाजार में 80 से 90 रुपये प्रतिकिलो तक हमें मिल जाता है।