इसमें कोई दो राय नहीं की देसी गाय की a2 क्वालिटी की मिल्क मानव स्वास्थ्य के लिए श्रेष्यस्कर है। भारत में देसी गायों की कुल 37 से 40 ज्ञात प्रजातियां है। अक्सर बहुत सारे लोगों के मन में इस बात की दुविधा होती है कि इन बहुत सारे देसी गायों में से उन्हें कौन सी गाय की दूध ज्यादा सूट करेगी। चर्चाएं होती है । चौपाले लगती है। कभी साहिवाल बाजी मार जाता है तो कभी गीर की बारी आती है।
चलिए आज आपको इस दुविधा से निजात दिला देते हैं। और विशेषकर यूपी बिहार वालों को उनके लिए सबसे सूटेबल गाय का नाम बता देते हैं।
आपको यह बात अवश्य जानी चाहिए की
हमारे लिए उस गाय का दूध सबसे फायदेमंद होता है जिसका ओरिजिनेशन हमारे लोकेलिटी में हुआ होता है यानी यूपी बिहार की बात करें तो हमारे यहां की स्थानीय देसी गाय का नाम गंगा तिरी है तो हम सभी यूपी बिहार वालों के लिए इस गाय का दूध सबसे ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक होगा ।गंगा जी के किनारे विकसित यह प्रजाति आज से कुछ समय पहले बहुल संख्या में पाई जाती थी ।अब बहुत कम दिखती है लेकिन अब जब हमें समझ आई है और जब हम प्रयास करेंगे तो निश्चित ही इसकी संख्या बढ़ेगी।आइए जानते हैं गंगा तिरी गाय की विशेषता।
तो जैसा कि स्पष्ट हो चुका है यह
नस्ल मुख्यत: उत्तर प्रदेश और बिहार में पायी जाती है। गंगा जी के तीर पर यानी किनारे पर विकसित यह गाय बड़ा मन मोहक दिखता है। सफेद उजला रंग। कसा हुआ शरीर और छोटे-छोटे नुकीले सिंघ इस गंगा किनारे वाले गाय की विशेष पहचान हैं।
इसका पालन दोहरे उद्देश्य के लिए होता है। पहला तो यह किसका मिलकिंग कैपेसिटी काफी बेहतर है और दूसरा इस का बुल भी कृषि कार्यों के लिए काफी उपयोगी है। इसे शाहाबादी या पूर्वी हरिआणा के नाम से भी जाना जाता है।
यह मुख्यत: उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर, गाज़ीपुर, वाराणसी और बलियां जिलों में और बिहार के भोजपुर जिले में पायी जाती है। यह नस्ल मध्यम आकार की होती है और इसका माथा आकर्षित होता है। यह प्रति ब्यांत में औसतन 900-1200 लीटर दूध देती है। इसके दूध में 4.1-5.2 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है।
तो हम सभी यूपी बिहार वालों को अपने घर पर एक गंगा तिरी गाय अवश्य पालना चाहिए।
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