बकरी पालन निश्चित ही एक लाभकारी व्यवसाय है। बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में जहां पर ज्यादातर लोगों के पास बिजनेस स्टार्ट करने के लिए कोई बड़ा सेविंग अमाउंट नहीं होता है उन सबके लिए बकरी पालन एक सुनहरा अवसर हो सकता है।
इस व्यवसाय में हमें तीन चार बातों का खास ख्याल रखना पड़ता है। सबसे प्रमुख है नस्ल का चुनाव। आपकी जो लोकेलिटी है उसी एटमॉस्फेयर का नस्ल का चुनाव करते हैं तो फायदे में रहेंगे उदाहरण के तौर पर बात करते हैं बिहार की। बिहार पर ब्लैक बंगाल नाम की प्रजाति का राज रहा है।सो बिहार में अगर आप बकरी पालन करना चाहते हैं तो आपको ब्लैक बंगाल ही पालना चाहिए। ब्लैक बंगाल में दो-तीन काफी कमाल की खूबियां है। सबसे पहला इसका मीट का टेस्ट। इससे टेस्टी मीट दुनिया के किसी भी प्रजाति के बकरी का नहीं होता है बेट लगा सकते हैं आप। दूसरा इसका प्रजनन क्षमता सबसे अधिक होता है। 2 साल की अवधि में यह तीन बार बच्चा देती है और एक बियान में बच्चों की संख्या कम से कम 2 होती है ।इतनी तेजी से मल्टिप्लाई होते हैं कि पता ही नहीं चलता कब आपका फार्म में जगह ही नहीं बचा। आईये डिटेल में जानते हैं इसके बारे में वह सब कुछ जो हमें जानना चाहिए।


काली बंगाल जाति की बकरियाँ पश्चिम बंगाल, बिहार,झारखंड, असम, उत्तरी उड़ीसा में पायी जाती है। इसके शरीर पर काला, भूरा तथा सफेद रंग का छोटा रोंआ पाया जाता है। अधिकांश (करीब 80 प्रतिशत) बकरियों में काला रोंआ होता है। यह छोटे कद की होती है वयस्क नर का वजन करीब 18-20 किलो ग्राम होता है जबकि मादा का वजन 15-18 किलो ग्राम होता है। नर तथा मादा दोनों में 3-4 इंच का आगे की ओर सीधा निकला हुआ सींग पाया जाता है। इसका शरीर गठीला होने के साथ-साथ आगे से पीछे की ओर ज्यादा चौड़ा तथा बीच में अधिक मोटा होता है। इसका कान छोटा, खड़ा एवं आगे की ओर निकला रहता है। इस नस्ल की प्रजनन क्षमता काफी अच्छी है। औसतन यह 2 वर्ष में 3 बार बच्चा देती है एवं एक वियान में 2-3 बच्चों को जन्म देती है।


कुछ बकरियाँ एक वर्ष में दो बार बच्चे पैदा करती है तथा एक बार में 4-4 बच्चे देती है। इस नस्ल की मेमना 8-10 माह की उम्र में वयस्कता प्राप्त कर लेती है तथा औसतन 15-16 माह की उम्र में प्रथम बार बच्चे पैदा करती है। प्रजनन क्षमता काफी अच्छी होने के कारण इसकी आबादी में वृद्धि दर अन्य नस्लों की तुलना में अधिक है। इस जाति के नर बच्चा का मांस काफी स्वादिष्ट होता है तथा खाल भी उत्तम कोटि का होता है। इन्हीं कारणों से ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियाँ मांस उत्पादन हेतु बहुत उपयोगी है। परन्तु इस जाति की बकरियाँ अल्प मात्रा (15-20 किलो ग्राम/वियान) में दूध उत्पादित करती है जो इसके बच्चों के लिए अपर्याप्त है।




  इसके बच्चों का जन्म के समय औसत् वजन 1.0-1.2 किलो ग्राम ही होता है। शारीरिक वजन एवं दूध उत्पादन क्षमता कम होने के कारण इस नस्ल की बकरियों से बकरी पालकों को सीमित लाभ ही प्राप्त होता है।