जैसे-जैसे A2 मिल्क का क्रेज बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे बहुत सारे लोग देसी गाय पर अधारित डेयरी फार्म शुरू करते जा रहे हैं। हालांकि आज के दौर में जहां देसी गायों की संख्या नगण्य है वहां देसी गायों का डेयरी शुरू करना किसी चुनौती से कम नहीं है। जहां तक साहिवाल की बात है तो आप जान लीजिए कि यह सबसे बेहतर डेयरी नस्लो में से एक है।
जर्सी गाय के दौर में देसी गायों को पहचानना भी आसान नहीं रह गया है। अगर आपको सही आईडिया नहीं मिला तो बहुत सारे लोग जर्सी गाय के क्रॉस को देसी के नाम पर बेच देंगे।आइए यहां पर जान जानते हैं कि साहीवाल गाय को कैसे पहचाने?
गहरा शरीर, ढीली चमड़ी, छोटा सिर व छोटे सींग इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं इसका शरीर साधारणत: लंबा और मांसल होता है। इनकी टांगें छोटी होती हैं, स्वभाव कुछ आलसी और इसकी खाल चिकनी होती है। पूंछ पतली और छोटी होती है।
यह गाय लाल और गहरे भूरा रंग की होती है कभी-कभी इसके शरीर पर सफेद चमकदार धब्बे भी होते हैं। ढीली चमड़ी होने के कारण इसे लोग लोला भी कहते हैं।
नर साहिवाल के पीठ पर बड़ा कूबड़ होता है व इसकी ऊंचाई 136 सेमी और मादा की ऊंचाई 120 सेमी के आसपास होती है।
नर गाय का वजन 450 से 500 किलो और मादा गाय का वजन 300-400 किलो तक होता है।
साहीवाल गाय का दूध उत्पादन:
यह गाय 10 से 16 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। अपने एक दुग्धकाल के दौरान ये गायें औसतन 2270 लीटर दूध देती हैं। साथ ही इसके दूध में पर्याप्त वसा होता है। ये विदेशी गायों की तुलना में दूध कम देती हैं, लेकिन इन पर खर्च भी काफी कम होता है। साहीवाल की खूबियों और उसके दूध की गुणवत्ता के चलते वैज्ञानिक इसे सबसे अच्छी देसी दुग्ध उत्पादक गाय मानते हैं। इनकी कम होती संख्या से चिंतित वैज्ञानिक ब्रीडिंग के जरिये देसी गायों की नस्ल सुधार कर उन्हें साहीवाल में बदलने पर जोर दे रहे हैं, जिसके तहत देसी गाय की पांचवीं पीढ़ी पूर्णत: साहीवाल में बदलने में कामयाबी हासिल हुई है।
साहीवाल गाय की अन्य विशेषता:
इसका शरीर गर्मी, परजीवी और किलनी प्रतिरोधी होता है जिससे इसे पालने में अधिकम मशक्कत नहीं करनी पड़ती है और डेरी किसानों को पालने में बहुत फायदा होता है।
उच्च दूध की पैदावार
प्रजनन की आसानी
सूखा प्रतिरोधी
अच्छा स्वभाव अच्छी देखभाल करने पर ये कहीं भी रह सकती हैं।
गर्मी सहने की अच्छी क्षमता और उच्च दुग्ध उत्पादन के कारण इन गायों को एशिया, अफ्रीका और कई कैरेबियाई देशों में भी निर्यात किया गया है।
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